Navratri 2022 : हिंदू पंचांग के अनुसार अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा यानी 26 सितंबर 2022, सोमवार से नवरात्रि शुरू हो रही हैं. इन नौ दिनों में मंदिरों, घरों और भव्य पंडालों में कलश स्थापना की जाएगी और माता रानी की उपासना की जाएगी. नवरात्रि में लोग मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करेंगे और व्रत भी रखेंगे.
व्रत के दौरान सात्विक भोजन ग्रहण किया जाता है जिसमें अनाज, फलाहार शामिल होते हैं. जो लोग व्रत नहीं रखते हैं वे लोग भी सात्विक भोजन ही ग्रहण करते हैं. भोजन में नौ दिनों तक लहसुन-प्याज का सेवन करना वर्जित माना जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि नवरात्रि में लहसुन-प्याज खाने की मनाही क्यों है? अगर नहीं जानते हैं तो के इस आर्टिकल को पूरा पढ़े.
आयुर्वेद में व्रत के दौरान कुछ खाद्य पदार्थों को उनकी प्रकृति और खाने के बाद शरीर में होने वाले असर के आधार पर 3 श्रेणी में विभाजित किया गया है. सबसे पहले राजसिक भोजन (Raajasic foods ) दूसरा तामसिक भोजन (Taamasic foods) और तीसरा सात्विक भोजन (Saatvik foods) है.
प्याज-लहसुन खाना इसलिए है वर्जित
वैसे तो हिंदु धर्म में कई मान्यताएं हैं लेकिन जब बात नवरात्रि में प्याज और लहसुन खाने की बात आती है तो सभी लोग अच्छे से इस नियम का पालन करते हैं. हिंदु पुराणों के मुताबिक, पूजा-पाठ या फिर किसी भी व्रत के दौरान लहसुन और प्याज का ना ही उपयोग करना चाहिए और ना ही उनसे बने भोजन का सेवन करना चाहिए.
हिंदु पुराणों में बताई गई कथा मुताबिक, जब देवता और असुरों के बीच सागर मंथन हो रहा था तो उसमें 9 रत्न निकले थे और आखिरी में अमृत निकला था. इसके बाद भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप लिया और देवताओं को अमृत पिलाने लगे. तभी दो दानव राहु-केतु ने देवताओं का रूप रख लिया और अमृत पी लिया.
इसके बाद भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से अलग कर दिया. माना जाता है कि उनका सिर जब धड़ से अलग हुआ तो उनके खून की कुछ बूंदें जमीन पर गिर गईं और उससे ही लहसुन प्याज की उत्पत्ति हुई. इसलिए ही प्याज और लहसुन से तीखी गंध आती है. यह भी बताया जाता है कि राहु-केतु के शरीर में अमृत की कुछ बूंदें पहुंच गई थीं .इसलिए उनमें रोगों से लड़ने क्षमता पाई जाती है.
प्याज-लहसुन ना खाने का वैज्ञानिक कारण
नवरात्रि में व्रत के दौरान भक्त सात्विक भोजन करते हैं, लेकिन इसके पीछे धार्मिक पहलू के अलावा एक वैज्ञानिक कारण भी है. दरअसल, शरद नवरात्रि अक्टूबर-नवंबर के महीने में आती है. वही आपका ये जान लेना जरूरी है कि अक्टूबर-नवंबर के महीने में संक्रमण का खतरा सबसे ज्यादा होता है. मौसमी बदलाव के कारण हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने लगती है.
ऐसे में इस मौसम में सात्विक भोजन करने से आपके पाचन तंत्र को कुछ आराम मिलता है और आपके शरीर की सभी अशुद्धियां साफ हो जाती हैं. सात्विक शब्द सत्व शब्द से बना है, जिसका अर्थ है शुद्ध, प्राकृतिक, ऊर्जावान. सात्विक खाद्य पदार्थों में ताजे फल, दही, सेंधा नमक, मौसमी सब्जियां और धनिया और काली मिर्च शामिल है.
यह भी कहा जाता है प्याज और लहसुन के अधिक प्रयोग से धर्म से इंसान का मन भटक जाता है और दूसरे कामों में लगने लगता है. पुराणों में प्याज और लहसुन को राजसिक और तामसिक माना जाता है. कहा जाता है कि तामसिक और राजसिक गुण बढ़ने से इंसान की अज्ञानता बढ़ती है इसलिए ही हमेशा से सात्विक भोजन करने की ही सलाह .दी जाती है ताकि उसका मन धर्म में लगा रहे.
तामसिक भोजन जैसे मांस-मछली, प्याज, लहसुन आदि राक्षसी प्रवृत्ति के भोजन कहलाते हैं. जिसके सेवन से घर में अशांति, रोग और चिंताएं घर में प्रवेश करती हैं .इसलिए प्याज-लहसुन का सेवन नवरात्रि में वर्जित माना जाता है.
आयुर्वेदिक और वैज्ञानिक कारण
आयुर्वेद के अनुसार, खाद्य पदार्थों को उनकी प्रकृति और खाने के बाद शरीर में होने वाली प्रतिक्रिया के आधार पर तीन श्रेणियो में बांटा जा सकता है. जैसे:
- राजसिक भोजन
- तामसिक भोजन
- सात्विक भोजन
प्याज के साथ लहसुन को रजोगिनी (Rajogini) के रूप में जाना जाता है, जिसका अर्थ है कि लहसुन को ऐसा पदार्थ माना गया है जिससे आपकी इच्छाओं और प्राथमिकताओं में अंतर करना मुश्किल हो जाता है.
नवरात्रि घटस्थापना मुहूर्त (Navratri 2022 ghatsthapna muhurat)
आश्विन घटस्थापना सोमवार, सितम्बर 26, 2022 को
घटस्थापना मुहूर्त – सुबह 06 बजकर 28 मिनट तक
अवधि – 01 घण्टा 33 मिनट्स
घटस्थापना अभिजीत मुहूर्त- शाम 12 बजकर 06 मिनट से शाम 12 बजकर 54 मिनट तक
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